
बिहार ब्रेकिंग

इस बार के लोकसभा चुनाव में बक्सर से जीतने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे चुनावी राजनीति के अजेय योद्धा रहे हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में बक्सर से ही उन्होंने जीत दर्ज कर पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया था। इस बार की तरह पिछली बार भी उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह को ही शिकस्त दी थी। चौबे इसके पूर्व बिहार विधानसभा चुनाव में 5 बार जीत दर्ज कर चुके हैं। बिहार सरकार में पूर्व में स्वास्थ्यमंत्री सहित अन्य कई विभाग भी बड़ी सफलतापूर्वक संभाल चुके है। वर्तमान में केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य विभाग के राज्यमंत्री है। संसद की विभिन्न मामलों की कमिटियों के वह सदस्य भी है।
2 जनवरी 1953 को दरियापुर, भागलपुर में जन्मे अश्विनी कुमार चौबे 1970 के दशक में हुए जेपी आंदोलन के एक सशक्त हस्ताक्षर है। जेपी आंदोलन में छात्र नेता के रूप में भाग लेने के दौरान उन्हें गंभीर चोटें आई थी। आपातकाल के दौरान मीसा के तहत वह 23 महीने गिरफ्तारी में रहे थे। छात्र जीवन के दौरान वह पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,जनसंघ और भाजपा से परंपरागत पारिवारिक जुड़ाव के कारण वह लगातार सामाजिक और सार्वजनिक कार्यो में लगे रहे। 1974 से 1987 तक वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। इसके बाद भाजपा के पूर्णकालिक के तौर पर काम करते रहे। इसके पूर्व उन्होंने वर्ष 1967-68 में बिहार सरकार के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन में भी भाग लिया था। वर्ष 1972-73 में केरल में हुए अखिल भारत छात्र नेता सम्मेलन में उन्होंने भाग लिया था।
वर्ष 1995 में बिहार विधानसभा के लिए विधायक चुने जाने के बाद वह लगातार 5 बार वर्ष 2014 तक विधानसभा के सदस्य रहे। इस दौरान बिहार सरकार में 8 साल तक स्वास्थ्य, शहरी विकास और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी सहित अन्य विभागों का पदभार संभाला था। बिहार सरकार में मंत्री रहने के दौरान अनेक जनकल्याणकारी काम करने का श्रेय उन्हें जाता है। जिसमें महादलित परिवार के लिए 11000 शौचालय बनवाने के कारण उनका नाम सुर्खियों में आया था। “हर घर में हो शौचालय का निर्माण- तभी होगा लाडली बिटिया का कन्यादान” का उनका दिया नारा बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
2013 में केदारनाथ में हुए भीषण बाढ़ के हादसे में उनके परिवार के कई लोग काल कलवित हो गए थे और चौबे मुश्किल से बच पाए थे। केदारनाथ आपदा पर हर वर्ष एक कार्यक्रम दिल्ली में मनाते हैं जिसमें उस हादसे में मृत हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है। “केदारनाथ त्रासदी” नामक पुस्तक भी उन्होंने लिखी है। कई मामले में बेबाक टिप्पणी कड़ने वाले अश्विनी कुमार चौबे बिहार की राजनीति के जाने-माने शख्सियत हैं। भागलपुर में चुनावी राजनीति करने वाले चौबे को बक्सर भेज देने पर भी कोई परेशानी नहीं हुई और उन्होंने आसानी से यहां दो बार जीत दर्ज कर ली। अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गुड बुक में रहने वाले चौबे जी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में कौन सा पद और मंत्रालय मिलता है।