
बिहार ब्रेकिंग-रविशंकर शर्मा

लगता है राज्य और केंद्र सरकारों का निजी स्कूलों पर नियंत्रण बिल्कुल ही समाप्त हो चुका है। यही कारण है कि आये दिन निजी स्कूल किसी न किसी बहाने अवैध वसूली करते जा रहे हैं। आलम यह है कि स्कूल दुकान में तब्दील हो चुका है, पेंसिल और किताब से लेकर ड्रेस तक अभिभावकों को स्कूल से मनमाने दाम पर खरीदना पर रहा है। उसके बाद भी नित नए कानून से अभिभावक और के जी के नौनिहाल परेशान हैं। निजी स्कुलें जब चाहे अपने कानून इन पर थोपती है और लाचार बच्चे के साथ उनके पेरेंट्स को मानना ही पड़ता है। ऐसा इसलिये है क्योंकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था अपने निम्नतर स्तर तक पहुंच चुका है। मजबूरी में लोग कान्वेंट में बच्चों को पढ़ाने को विवश हैं और निजी विद्यालय अब व्यापक उद्योग के रूप में सामने आया है, जिसमे ट्रस्ट अथवा एनजीओ बनाकर भारी मात्रा में काले धन का निवेश हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक इसमे राजनेताओं से लेकर बड़े बड़े धनपति और सरकारी अधिकारियों का भी भारी निवेश है।
ताजा मामला प्रख्यात नोट्रेडम स्कूल का है जहाँ एडमिशन के नाम पर मोटी रकम और बड़ी पैरवी की जरूरत होती है। उसी नोट्रेडम ने आज सुबह सिर्फ 2 मिनट देर होने के कारण गेट में ताला लगा दिया और केजी के दर्जनों बच्चों को भी अंदर नही जाने दिया। ये सारी घटना खुद प्रिंसिपल के आदेश पर हुआ, जबकि प्रिंसिपल को ये पता है पिछले 6 महीने से सभी सेतु के बंद रहने और सिर्फ राजेन्द्र सेतु के खुला रहने के कारण NH31 पर किलोमीटरों लंबा जाम लगा रहता है। एक तरफ सीबीएसई बोर्ड बच्चों की बेहतर भबिष्य के लिए नए और बेहतर योजनाए बनाती है ताकि छात्रो पर बोझ न पड़े। पर बाढ़ के एनटीपीसी के नोट्रेडम स्कूल में अजीबो हालात पैदा हो गई। स्कूल पहुचने में 2 मिनट गाड़ी और ऑटो वालो को क्या हुई प्रिंसिपल ने सभी को बाहर खड़ा कर दिया और मैन गेट में ताँला कगवा दिया। सैकड़ो lkg के बच्चे और सीनियर छात्र गेट पर खड़े रहे पर प्रिंसिपल ने गेट नही खोला। कहा जाता है कि स्कूल की अपनी गाड़ी भी नही चलती है। ऐसे में अभिभावकों को अपने स्तर से समय बच्चों को पहुंचाना पड़ता है। परंतु मूल समस्या सरकारी स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था के बदहाली के कारण उतपन्न हुआ है। हाल ही में सरकार ने निजी विद्यालयों के लिये गाइडलाइंस जारी किए थे। जो आज सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गया है।