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बिहार के राज्यपाल लाल जी टंडन ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति को वर्षों से लंबित अनुकंपा पाल्यों की शीघ्र नियुक्ति का निर्देश दिया है। राजभवन से कुलपति डॉ. एस. के. सिंह को दिए इस निर्देश की जानकारी पूर्व क्रिकेटर एवं स्थानीय सांसद कीर्ति झा आज़ाद को दी गयी है। श्री आजाद ने इस संबंध में बिहार के राज्यपाल को पत्र लिखा था। राज्यपाल की ओर से यह निर्देश 15 जनवरी 2019 को दिया गया है। निर्देश में अनुकंपा पाल्यों की नियुक्ति को प्राथमिकता देने का जिक्र किया गया है। मिथिला विश्वविद्यालय में अनुकंपा पाल्यों का 48 दिन पुराना धरना प्रदर्शन विश्वविद्यालय प्रशासन के इस आश्वासन के बाद पिछले सप्ताह तत्काल स्थगित किया गया था कि उनकी नियुक्ति हेतु 21 से 25 जनवरी के बीच समिति की बैठक बुलाई जायेगी तथा उन्हें सेवा में लिया जायेगा।
इससे पहले धरना प्रदर्शन में विभिन्न राजनीतिक एवं ट्रेड यूनियनों के अलावा श्री आजाद ने पहली दिसंबर 2018 को हिस्सा लिया था तथा अनुकंपा पाल्यों की नियुक्ति में हो रहे विलम्ब पर गंभीर चिंता जताई थी। उन्होंने आंदोलनकारियों की मांग को नियम के अनुकूल बताते हुए इन्हें तुरंत सेवा में लिए जाने की मांग की थी। श्री आज़ाद ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि पांच वर्षों से मृतक के पाल्यों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी में नहीं लेना अंग्रेजी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने यह भी कहा था कि वह इस संबंध में राज्यपाल श्री टंडन को पत्र लिखेंगे। सांसद श्री आजाद ने आंदोलनकारियों की इस लड़ाई में अपने को सहभागी बताते हुए कहा था कि मिथिला विश्वविधलाय से सम्बंधित ढेर सारी शिकायतें मिलती रहती है। यह बहुत बड़ा विश्वविधलाय है लेकिन आज यह कुख्यात होता जा रहा है। इसके बाद से मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ दरभंगा से दिल्ली तक आरोपों की झड़ी लग गयी और कुलपति के खिलाफ कई आरोप विभिन्न संगठनों की ओर से लगाये गए तथा राष्ट्रपति एवं राजपाल से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गयी है। इसबीच राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने मिथिला विश्वविद्यालय का दौरा किया। अनुकंपा पाल्यों ने उन्हें अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन भी दिया था । उल्लेखनीय हैं कि पिछले 5 वर्षों से अनुकंपा पाल्यों की नियुक्ति नहीं होने से कई परिवार सड़क पर आ गये है और उनके समक्ष भूख मरी की गंभीर समस्या उत्पन हो गयी है।