
बिहार डेस्कः सियासत को लेकर अक्सर यह भ्रम है कि राजनीतिक गलियारों से सिर्फ घोषणाएं, आश्वासन या फिर राजनीतिक बयान, और खबरें बाहर आती हैं। दरअसल यह पूरी तरह ठीक नहीं है क्योंकि इन चीजों के अलावा राजनीतिक गलियारों से कई दिलचस्प सियासी किस्से भी निकलकर सामने आते हैं। ऐसी हीं एक दिलचस्प राजनीतिक कहानी है महज तीन दिनों तक बिहार के सीएम रहे सतीश प्रसाद सिंह की। कुशवाहा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सतीश प्रसाद सिंह को अंतर्जातीय विवाह करने की सजा भी भुगतनी पड़ी थी। घरवाले शादी से खुश नहीं थे और उन्हें घर से निकाल दिया गया था। संघर्ष से अपनी राह बनाने वाले सतीश प्रसाद सिंह बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थी जो पिछड़ी जाति से आते थे। बिहार के खगड़िया जिले के परवत्ता के कुरचक्का गांव के रहने वाले सतीश प्रसाद के गांव को अब उनके नाम से जाना जाता है। उनके गांव नाम अब सतीशनगर कर दिया गया है। खेत बेचकर 1962 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सतीश प्रसाद सिंह यह चुनाव हार गये। उन्हें महज 17 हजार वोट मिले थे। बाद में 1967 के विधानसभा चुनाव में सतीश प्रसाद सिंह को संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने परबत्ता से टिकट दिया और वे 20 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीत गये। महामाया प्रसाद की सरकार गिरने के बाद सतीश प्रसाद सिंह 28 जनवरी 1968 को बिहार के मुख्यमंत्री बने और केवल तीन दिनों तक मुख्यमंत्री रह पाये।
